कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।। लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट https://shivchalisas.com