गौरोचन की सहायता से भोजपत्र पर लिखें और फिर सदाबहार फूलों के वृक्ष के नीचे शाम के समय गाड़ दें. विमोह जोगनामोह सर्व मोग्या था था थाह स्वाहा हे गौरी शंकरार्धांगिं! यथा त्वं शंकरप्रिया। ‘‘ऊँ क्रीं वांछितं मे वशमानय स्वाहा।’’ गारुड तलनम वार भाषइ, लाडि भोजाइ आमि पिशाचि अमुकार (नाम) https://baglamukhi96284.atualblog.com/40861182/an-unbiased-view-of-love-vashikaran